हिंसा पर कलकत्ता हाईकोर्ट की टिप्पणी से शुभेंदु अधिकारी को केंद्र की भूमिका पर दिखी उम्मीद की किरण
कोलकात । मुर्शिदाबाद हिंसा की जांच को लेकर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की संभावित भूमिका पर कलकत्ता हाईकोर्ट की टिप्पणी ने पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी को एक नई उम्मीद दी है। भले ही अदालत ने सीधे तौर पर एनआईए जांच का आदेश नहीं दिया, लेकिन विशेष खंडपीठ द्वारा केंद्र सरकार के अधिकारों को स्पष्ट रूप से रेखांकित करने को शुभेंदु ने "उम्मीद की किरण" बताया है। शुभेंदु अधिकारी ने कहा, "मैं कलकत्ता हाईकोर्ट की उस टिप्पणी का स्वागत करता हूं जिसमें केंद्र सरकार को केंद्रीय बलों की तैनाती और एनआईए जांच शुरू करने के पूर्ण अधिकार की बात कही गई है।" उन्होंने कहा कि अब केंद्र सरकार इस मामले में स्वतंत्र रूप से निर्णय ले सकती है। कलकत्ता हाईकोर्ट की यह टिप्पणी इसलिए अहम मानी जा रही है क्योंकि जहां एक ओर केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को किसी राज्य के मामले में हस्तक्षेप के लिए राज्य सरकार की अनुमति या अदालत का आदेश आवश्यक होता है, वहीं एनआईए को ऐसा करने के लिए न तो राज्य सरकार की अनुमति चाहिए, न ही अदालत के निर्देश की जरूरत होती है।
एनआईए अधिनियम, 2008 की धारा छह के तहत, केंद्र सरकार किसी भी समय 'शेड्यूल अपराधों' की जांच के लिए एजेंसी को निर्देश दे सकती है, भले ही राज्य सरकार ने इसकी सिफारिश न की हो या प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई हो। विशेष खंडपीठ के न्यायमूर्ति सौमेन सेन और न्यायमूर्ति राजा बसु चौधरी ने अपने आदेश में स्पष्ट रूप से इस प्रावधान का उल्लेख किया है। अदालत ने आदेश में कहा, "केंद्र सरकार के पास एनआईए अधिनियम, 2008 की धारा 6(5) के तहत यह अधिकार है कि यदि उसे लगे कि अनुसूचित अपराध हुआ है, तो वह स्वयं संज्ञान लेकर एनआईए से जांच करवा सकती है।" शुभेंदु अधिकारी ने राज्यपाल डॉ. सी. वी. आनंद बोस के उस निर्देश के लिए भी आभार जताया, जिसमें उन्होंने रेड क्रॉस सोसायटी को मुर्शिदाबाद के प्रभावित इलाकों में राहत कार्य करने का निर्देश दिया था। उन्होंने कहा, "मैं रेड क्रॉस बंगाल को भी दिल से धन्यवाद देता हूं, जिन्होंने संकट की घड़ी में ज़रूरतमंदों तक त्वरित राहत पहुंचाई। उनकी करुणा और तत्परता ने पीड़ितों को बड़ी राहत दी है।"
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