अभाव व अपमान में भी बाबा साहब ने बनाया रास्ता: योगी

कहा- जातीय संघर्ष कराना चाहती है सपा व कांग्रेस

अभाव व अपमान में भी बाबा साहब ने बनाया रास्ता: योगी

  • पं. नेहरू नहीं चाहते थे कि बाबा साहब को पद मिले
  • बाबा साहब की विद्वता से घबराई थी कांग्रेस, इसलिए उनके मार्ग में खड़ा करती थी बाधा

गोरखपुर। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि बाबा साहब भीमराव अंबडेकर ने अभाव व अपमान में रास्ता बनाया और सामाजिक बंधनों को तोड़ते हुए पूरे देश को सम्मान दिलाया। बाबा साहब के कारण ही बिना भेदभाव हर व्यक्ति को समान मताधिकार के उपयोग की स्वतंत्रता प्राप्त हुई। विकसित और आधुनिक लोकतंत्र के अनेक अग्रणी देश हैं, जिन्होंने अश्वेतों व महिलाओं को मत देने का अधिकार बहुत बाद में दिया, लेकिन भारत ने संविधान निर्माण के साथ ही 1952 के पहले आम चुनाव में ही एससी-एसटी, अतिपिछड़ी व महिलाओं को मत देने का अधिकार दे दिया था। यह बाबा साहब की कलम से ही संभव हो पाया।

देश को एकता के सूत्र में बांधने का श्रेय बाबा साहब को ही जाता है। मुख्यमंत्री ने यह बातें शनिवार को गोरखपुर क्लब में अंबेडकर सम्मान अभियान के अंतर्गत विचार गोष्ठी में कहीं।मुख्यमंत्री ने कहा कि बाबा साहब ने मेहनत के साथ संविधान तैयार कराया। लेकिन जब कांग्रेस ने संशोधन में संशोधन प्रारंभ किए तो वे उद्वेलित हुए। कांग्रेस बाबा साहब को संविधान सभा में जाने नहीं देना चाहती थी, लेकिन लोकप्रियता व भारत मां की प्रतिबद्धता के कारण वे संविधान सभा के सदस्य बने। फिर उन्हें ड्राफ्टिंग कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया। पं. नेहरू नहीं चाहते थे कि उन्हें यह पद मिले। इसके लिए काफी षडयंत्र भी किया।

बाबा साहब ने अपनी योग्यता व क्षमता से ऐसा संविधान दिया, जो भारत को सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में स्थापित करने का गौरव दिलाता है। एससी-एसटी छात्रों को सौ फीसदी छात्रवृत्ति मिले, इस वर्ग के नागरिकों को नौकरियों में आरक्षण मिले, एससी-एसटी व अन्य वंचितों को समाज की मुख्यधारा से जोड़कर सम्मानजनक स्थान प्राप्त हो, यह बाबा साहब की देन है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस व सपा लगातार प्रयास करती रही। जिसके कारण समाज में विद्वेष, अराजकता पैदा होता रहे। कांग्रेस ने 1952 में बाबा साहब को चुनाव नहीं जीतने दिया। उन्हें हराने वाले को पद्म पुरस्कार दिया। 1954 उपचुनाव में कांग्रेस ने उनके निजी सहायक को ही उनके खिलाफ चुनाव लड़ाया, बाबा साहब फिर हार गए। जब हिंदू महासभा के एक सदस्य ने पुणे की सीट छोड़ी, तब बाबा साहब संसद में जा पाए। कांग्रेस उनकी कर्मठता, विद्वता, एससी-एसटी व देश के प्रति प्रतिबद्धता से घबराई थी, इसलिए पग-पग पर उनके मार्ग में बाधा खड़ा करती थी।

राहुल गांधी संविधान की प्रति लेकर घूमते हैं तो आश्चर्य होता है कि यह वही लोग हैं, जिन्होंने डॉ. आंबेडकर का अपमान किया। जब पीएम चंद्रशेख? ने वह भवन बाबा साहब के नाम पर आवंटित किया तो कांग्रेस ने समर्थन वापस ले लिया। फिर अटलजी ने कार्य पूरा किया, मोदीजी ने स्मारक बनाने का कार्य किया।मुख्यमंत्री ने कहा कि बाबा साहब ने 65 वर्ष में वह करके दिखाया, जो लोग सैकड़ों वर्ष में नहीं कर पाए। 1947, 1956, 1962, 1967, 1971, 1980, 1985, 1991, 2004, 2009 में भी कांग्रेस सरकार देश में थी, लेकिन उनका एक भी स्मारक नहीं बनाया।

भाजपा ने उनके पंचतीर्थ बनाए, कांग्रेस, राजद, सपा या अन्य दलों का कोई योगदान नहीं है। 26 नवम्बर की तिथि 2015 से संविधान दिवस के रूप में मनाई जाती है।इस दौरान सांसद रवि किशन, महापौर डॉ. मंगलेश श्रीवास्तव, भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष व विधान परिषद सदस्य डॉ. धर्मेंद्र सिंह, विधायक विपिन सिंह, भाजपा के महानगर अध्यक्ष देवेश श्रीवास्तव, पूर्व कुलपति प्रो. चंद्रशेखर आदि मौजूद रहे।

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