मुर्शिदाबाद में महिला आयोग की टीम ने दंगा पीड़ितों से की मुलाकात

 केंद्र से सुरक्षा की गारंटी का दिया भरोसा

मुर्शिदाबाद में महिला आयोग की टीम ने दंगा पीड़ितों से की मुलाकात

  • अब तक 315 गिरफ़्तार, दो नाबालिग भी शामिल
  • शमशेरगंज में भीड़ ने बनाया था हिन्दू परिवारों को निशाना

कोलकाता। पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में हाल ही में हुए सांप्रदायिक दंगों के बाद शनिवार को राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) की अध्यक्ष विजया रहाटकर के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने दंगा पीड़ितों से मुलाकात की और उन्हें आश्वस्त किया कि भविष्य में उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार हरसंभव कदम उठाएगी। एनसीडब्ल्यू प्रमुख रहाटकर ने मुर्शिदाबाद के बेतबोना इलाके में पीड़ितों से बात करते हुए कहा, "डरने की कोई बात नहीं है। देश और आयोग आपके साथ है। खुद को अकेला मत समझिए।" उन्होंने बताया कि आयोग इस दौरे की विस्तृत रिपोर्ट केंद्र को सौंपेगा।

पीड़ित महिलाओं ने आयोग को बताया कि दंगों के दौरान उन्हें किस प्रकार की यातनाएं झेलनी पड़ीं। उन्होंने मांग की कि जिले के संवेदनशील इलाकों में स्थायी सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) कैंप स्थापित किए जाएं और पूरे मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) से कराई जाए। इससे एक दिन पहले शुक्रवार को आयोग की टीम ने मालदा जिले के राहत शिविर का भी दौरा किया, जहां मुर्शिदाबाद दंगों के कारण विस्थापित हुए लोग शरण लिए हुए हैं।वक्फ (संशोधन) अधिनियम के विरोध में बीते सप्ताह मुर्शिदाबाद जिÞले में भड़की साम्प्रदायिक हिंसा के मामले में अब तक 315 लोगों को गिरफ़्तार किया गया है।

इनमें दो नाबालिग भी शामिल हैं। गिरफ़्तार किए गए अधिकतर लोगों को अब तक जमानत नहीं मिली है। केवल दो नाबालिगों को ही रिहा किया गया है। अफवाह और भ्रामक सूचनाओं को फैलाने वाले कुल 1,257 इंटरनेट लिंक (यूआरएल) को भी अब तक ब्लॉक किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि हिंसा की शुरूआत आठ अप्रैल को रघुनाथगंज थाना क्षेत्र के अंतर्गत पीडब्ल्यूडी मैदान में वक्फ (संशोधन) अधिनियम के विरोध में आयोजित प्रदर्शन के दौरान हुई। दोपहर में भीड़ अचानक उग्र हो गई और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के साथ-साथ पुलिसकर्मियों पर हमला करने लगी। भीड़ के पास घातक हथियार थे और उन्होंने तैनात पुलिसकर्मियों से हथियार तक छीन लिए। मुर्शिदाबाद हिंसा पर पश्चिम बंगाल पुलिस की एक रिपोर्ट के अनुसार जिला खुफिया शाखा को 11 अप्रैल को जुमे की नमाज के बाद उमरपुर (रघुनाथगंज थाना), साजुर मोड़ (सूती थाना) और ओल्ड डाकबंगला मोड़ (शमशेरगंज थाना) में संभावित आंदोलन की जानकारी पहले से मिली थी।

रिपोर्ट में जिन स्थानीय लोगों की भूमिका की बात कही गई है, वह मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और राज्य सरकार के उस दावे पर सवाल खड़ा करती है, जिसमें हिंसा के लिए ह्लबाहरी तत्वोंह्व को जिÞम्मेदार ठहराया गया था। पुलिस रिपोर्ट के मुताबिक 12 अप्रैल को शमशेरगंज थाना क्षेत्र के घो्षपाड़ा इलाके में एक स्थानीय मस्जिद के पास एकत्रित भीड़ ने विशेष रूप से हिन्दू परिवारों के घरों को निशाना बनाया। अगले दिन कंचनतला मस्जिद के पास एक और भीड़ ने हिन्दू परिवारों के घरों में तोड़फोड़ की कोशिश की।

About The Author

अपनी टिप्पणियां पोस्ट करें

टिप्पणियां