व्हाइट हाउस ने कहा- लॉकडाउन एक फालतू फैसला था

व्हाइट हाउस ने कहा- लॉकडाउन एक फालतू फैसला था

वार्शिंगटन। व्हाइट हाउस ने कोविड-19 से जुड़ी आधिकारिक वेबसाइट covid.gov को अब एक नए पेज पर रीडायरेक्ट कर दिया है, जहां ‘लैब लीक’ थ्योरी को प्रमोट किया जा रहा है। पहले यह वेबसाइट कोविड-19 वैक्सीन, टेस्टिंग और इलाज से जुड़ी जानकारी देती थी, लेकिन अब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में, यह साइट एक ऐसे पेज पर ले जाती है जो यह दावा करता है कि कोरोना वायरस चीन की एक लैब से लीक होकर फैला था, हालांकि यह थ्योरी अब तक वैज्ञानिक रूप से सिद्ध नहीं हुई है।
 
यह थ्योरी पिछले साल रिपब्लिकन सांसदों की एक रिपोर्ट में सामने आई थी, जिसमें कहा गया था कि महामारी की शुरुआत चीन की एक प्रयोगशाला से हुई, लेकिन उसी समय डेमोक्रेट सांसदों ने एक विरोध रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें कहा गया कि यह जांच कोविड की असली उत्पत्ति को साबित करने में नाकाम रही। इसी तरह, covidtests.gov वेबसाइट, जहां से लोग पहले फ्री कोविड टेस्ट किट मंगवा सकते थे, अब उसी नए पेज पर रीडायरेक्ट हो रही है जो 'लैब लीक' थ्योरी और अन्य विवादित जानकारियां प्रसारित कर रहा है।
 
नया व्हाइट हाउस पेज न केवल यह दावा करता है कि कोविड-19 की रोकथाम के लिए सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क पहनना और लॉकडाउन प्रभावी नहीं थे, बल्कि यह बात भी कहता है कि इन्हें अपनाने का कोई फायदा नहीं हुआ, जबकि सैकड़ों वैज्ञानिक रिसर्च यह साबित कर चुके हैं कि मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग और लॉकडाउन जैसे उपाय सांस से फैलने वाली बीमारियों, खासकर कोविड-19, के प्रसार को रोकने में काफी प्रभावी रहे हैं।
 
ट्रंप के दोबारा राष्ट्रपति बनने के बाद से कई सरकारी वेबसाइटों के कंटेंट को उनके प्रशासन के एजेंडा के अनुरूप बदला गया है। इसके अलावा एलन मस्क के DOGE नामक समूह की मदद से अमेरिकी सरकार ने सरकारी दस्तावेजों से 'diversity' से जुड़े सैकड़ों शब्द हटाने की कोशिश की है। इसमें Black, disability, diversity, gender, racism, women जैसे शब्द शामिल हैं। यहां तक कि पर्यावरण से जुड़ी वेबसाइटों से भी 'climate change' यानी जलवायु परिवर्तन से जुड़े सटीक वैज्ञानिक तथ्यों का जिक्र हटा दिया गया है।

 

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‘तरुणमित्र’ श्रम ही आधार, सिर्फ खबरों से सरोकार। के तर्ज पर प्रकाशित होने वाला ऐसा समचाार पत्र है जो वर्ष 1978 में पूर्वी उत्तर प्रदेश के जौनपुर जैसे सुविधाविहीन शहर से स्व0 समूह सम्पादक कैलाशनाथ के श्रम के बदौलत प्रकाशित होकर आज पांच प्रदेश (उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तराखण्ड) तक अपनी पहुंच बना चुका है। 

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