वक्फ कानून को लेकर सुप्रीम सुनवाई जारी
कोर्ट रूम में भीड़ के कारण वकीलों को घुसने में हुई दिक्कत
- याचिकाओं का कुल आंकड़ा तो 70 से ज्यादा
- सुप्रीम कोर्ट ने पूछा सैकड़ो साल पहले कौन सा रजिस्ट्रेशन होता था
- आज मात्र 10 याचिकाओं पर साथ में की सुनवाई
नई दिल्ली। वक्फ कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कल भी सुनवाई होगी। आज कोर्ट रूम में इतनी ज्यादा भीड़ थी कि वकीलों तक को घुसने का मौका नहीं मिल रहा था। सुप्रीम कोर्ट आज इस मामले में 10 याचिकाओं पर साथ में सुनवाई की है, याचिकाओं का कुल आंकड़ा तो 70 से ज्यादा है, लेकिन सुनवाई के लिए सर्वोच्च अदालत ने 10 याचिकाओं को चुना है।इन मामलों की सुनवाई सीजेआई संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस के वी विश्वनाथन की तीन सदस्यीय बेंच कर रही है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा जिन 10 याचिकाओं पर सुनवाई की गई, उनमें एआईएमआईएम प्रमुख ओवैसी की याचिका के अलावा, अमानतुल्लाह खान, एसोसिएशन फॉर द प्रोटेक्शन आॅफ सिविल राइट्स, अरशद मदनी, समस्त केरल जमीयतुल उलेमा, अंजुम कादरी, तैयब खान सलमानी, मोहम्मद शफी, मोहम्मद फजलुर्रहीम और राजद सांसद मनोज झा द्वारा दायर याचिका शामिल हैं।
वक्फ कानून को लेकर क्या है आपत्ति विरोध का सबसे बड़ा आधार यह है कि मुस्लिम संगठनों को लग रहा है कि इस नए कानून की वजह से सरकारी हस्तक्षेप बढ़ जाएगा। मुस्लिम समाज में कुछ लोगों का मानना है कि अब सरकार तय करेगी कि आखिर कौन सी प्रॉपर्टी वक्फ है और कौन सी नहीं। इसके ऊपर सरकार द्वारा लाए गए कानून का सेक्शन 40 कहता है कि वक्फ बोर्ड इस बात का फैसला लेगा कि किसी जमीन को वक्फ का माना जाए या नहीं। अब यहां पर विवाद इस बात को लेकर है कि अब यह फैसला लेने की ताकत किसी वक्फ ट्रिब्यूनल के पास ना होकर डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर के पास होगी।
वक्फ जमीनों को लेकर जो पुराना कानून था, वो कहता था अगर कोई जमीन लंबे समय से वक्फ द्वारा ही इस्तेमाल की जा रही है तो उसे वक्फ का माना जा सकता है। तब अगर जरूरी कागजात नहीं भी होते थे, तब भी उस जमीन को वक्फ का मान लिया जाता था। लेकिन अब जब यह कानून आ गया है, इसमें इस शब्द को ही हटा दिया गया है। इससे होगा यह कि अगर कोई प्रॉपर्टी वक्फ की नहीं है तो उसे संदिग्ध माना जाएगा, यह तर्क नहीं दिया जा सकेगा कि क्योंकि पहले से ही इस प्रॉपर्टी पर वक्फ काम कर रहा था, तो इस पर अधिकार भी उनका ही रहेगा।सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई में क्या हुआ हुआ?मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पक्षकारों से दो बिंदुओं पर विचार करने को कहा, जिसमें यह भी शामिल है कि क्या मामला हाई कोर्ट भेजा जाना चाहिए।सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने वक्फ संशोधन अधिनियम का हवाला देते हुए कहा कि वह उस प्रावधान को चुनौती देते हैं जिसमें कहा गया है कि सिर्फ मुसलमान ही वक्फ बना सकते हैं।
कपिल सिब्बल ने सवाल किया कि सरकार कैसे कह सकती है कि सिर्फ वे ही लोग वक्फ बना सकते हैं जो पिछले पांच साल से इस्लाम का पालन कर रहे हैं? उन्होंने यह भी सवाल किया कि राज्य कैसे तय कर सकता है कि मैं मुसलमान हूं या नहीं और इसलिए वक्फ बनाने का हकदार हूं या नहीं? सीनियर एडवोकेट अभिषेक सिंघवी ने कहा कि वक्फ अधिनियम का पूरे भारत में प्रभाव होगा, याचिकाएं हाईकोर्ट नहीं भेजी जानी चाहिए।सीजेआई संजीव खन्ना ने कहा कि एक उच्च न्यायालय को याचिकाओं से निपटने के लिए कहा जा सकता है। उन्होंने कहा कि हम यह नहीं कह रहे हैं कि कानून के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई करने और फैसला देने में सुप्रीम कोर्ट पर कोई रोक है।एक वादी की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट हुजेफा अहमदी ने कहा कि वक्फ इस्लाम की स्थापित प्रथा है, इसे छीना नहीं जा सकता।मामले में सुनवाई के दौरान केंद्र ने कहा ने कहा कि संयुक्त संसदीय समिति का गठन किया गया और विस्तृत कवायद की गई। जेपीसी ने 38 बैठक कीं, 98.2 लाख ज्ञापनों की जांच की, फिर संसद के दोनों सदनों ने इसे पारित किया।
सुप्रीम कोर्ट में आज की सुनवाई पूरी हो गई है। कपिल सिब्बल ने बहस की शुरूआत की है। सीजेआई ने उन्हें टोकते हुए कहा है कि वे सिर्फ बड़ी बातें रखें। कोर्ट की तरफ से केंद्र सरकार को भी नोटिस जारी किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि हमारे पास एक विकल्प है कि हम मामले की सुनवाई करते रहे। दूसरा ऑप्शन यह है कि हम मामले को कॉमन हाई कोर्ट के पास भेज दें। हम ये भी कर सकते हैं कि हाई कोर्ट में जो याचिकाएं पेंडिंग हैं उन पर फैसला लें। सवाल यह है कि अगर संवैधानिक वैधता की बात आएगी तो हाई कोर्ट इसमें फैसला नहीं कर सकता।
सीजेआई ने सुनवाई के दौरान तुषार मेहता से पूछा कि आप तय कैसे करेंगे कि वक्फ बाय यूजर कौन है। उनके पास कौन से दस्तावेज होने चाहिए। हम मानते हैं कि कुछ मिसयूज होता होगा। लेकिन कुछ सही भी तो होते हैं। पिछले फैसलों को मैंने देखा है। वक्फ बाय यूजर को मान्यता दी गई है, अगर पूरी तरह आप इसे हटा देंगे, तो यह दिक्कत है। जस्टिस विश्वनाथन ने सिब्बल को काउंटर करते हुए कहा कि आर्टिकल 26 में प्रशासनिक गतिविधियों के बारे में बताया गया है, इसे धार्मिक गतिविधियों के साथ कन्फ्यूजन नहीं करना चाहिए। कपिल सिब्बल ने इस बात पर आपत्ति जताई कि अब तो वक्फ बोर्ड में हिंदुओं को भी शामिल किया जाएगा।
अभी तक तो सिर्फ मुस्लिम ही इसका हिस्सा हुआ करते थे। कपिल सिब्बल ने सवाल उठाया कि कानून में एक कलेक्टर को ताकत दी गई है कि वो फैसला करे कि कौन सी जमीन वक्फ है और कौन सी नहीं। अगर कोई विवाद होगा तो सरकार का ये आदमी ही फैसला लेगा, यानी कि अपने मामले में वो खुद ही जज की भूमिका भी अदा करेगा। यह पूरी तरह असंवैधानिक है। सीजेआई ने इस बात पर जोर देकर कहा कि हिंदुस्तान में तो ऐसा होता है। यहां सदन ने मुस्लिमों के लिए एक कानून बनाया है। हो सकता है शायद वैसा नहीं जैसा हिंदुओं के लिए है।
आर्टिकल 26 तो यूनिवर्सल है और ये पूरी तरह सेकुलर रहता है और सभी पर लागू भी होता है। कपिल सिब्बल ने जोर देकर कहा कि स्टेट कौन होती है कि हमे बताने वाली कि हमारे धर्म में विरासत के क्या कानून रहने वाले हैं। सीजेआई संजीव खन्ना ने कहा है कि आज सिर्फ कुछ ही याचिकाओं पर सुनवाई होने वाली है, सभी पर साथ में नहीं हो सकती।
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